सोमवार, 14 मई 2012

लघुकथा -०१ कीमत -अनिल अयान ,सतना .(म.प्र.

लघुकथा -०१                                    कीमत
                                                                                                -अनिल अयान ,सतना (.म.प्र.)
                   झोपड़ी जैसे ही स्नान करके पूजा के लिए बैठी ही थी की तभीमहल और मकान उसके पास आय दोनों ही उसके पुराने दोस्त थे. पहले तीनो मिलकर जीवन जीते थे. पर अचानक तभी व्यवसायीकरण में झोपड़ी और उन्दोनो की दोस्ती को मिटटी में मिला दिया. और आज उनके बीच एक गहरी खाईं बन चुकी है.आज पानी की कमी के कारण महल और माकन झोपड़ी से पानी मांगने आये थे. दोनों ने कहा
" दोस्त जो तुमने कुआं खोदा था उसमे पानी ख़त्म हो गया है. और अब हमसे प्यास नहीं सही जा रही है. हमारी मदद करो और थोडा सा पानी दे दो हमारा गला सूख रहा है."
       झोपड़ी ने कहा.
"हम पहले भी दोस्त थे और आज भी दोस्त है. चलो मई देखती हु,"
                झोपड़ी ने कुए में एक ट्यूब वेल बनवा दिया. और अब मकान और महल के पास इफरात पानी था.पर इधर झोपड़ी की हालत काफी कमजोर हो गयी, उसके यहाँ पानी का अकाल हो गया. उसके कुएं का पानी ट्यूब वेल में चला गया. वो कई दिनों से एक लोटा पानी तक नहीं पी सकी तो अब वह अपने पुराने दोस्तों के पास मदद के लिए गयी.उसने दोस्ती का हवाला दिया और मदद मागी. अब व्यवसायीकरण ने उन दोनों को अपने नशे में डुबो लिया था. मकान और महल ने कहा हम तुम्हे ऐसे नहीं मरने देगे. बाहर झोपडी के बर्तन पानी से भरे जा रहे थे. और झोपड़ी किसी और के बर्तन भरने के लिए मजबूर हो गयी, तीसरा पहर रात का गुजरा तो पड़ोसियों ने झोपड़ी कौ उसके घर के पास अचेत पाया. अब तो झोपड़ी की पानिदारी भी दोस्ती की कीमत चुका चुकी थी. बेबस और निसहाय......

(प्रस्तुत कहानी पूरी तरह से अप्रकाशित और अप्रसारित है. इसका किसी व्यक्ति विशेष और वास्तविक घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है. कोई विवाद होने पर न्यायिक अधिकार सतना न्यायलय को होगा. सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित है.- अनिल अयान ) 

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