शनिवार, 19 मई 2012

कहानी -०3 टीना की वापसी - अनिल अयान

कहानी -०3  टीना की वापसी - अनिल अयान 


"आज बहुत उदास नजर आ रही हो."
साहिल ने रीमा से पूंछा.
"हाँ मेरा मूड ठीक नहीं है. तुम तो जानते हो फिर भी दिल दुखाने वाली बात करते हो.".
रीमा ने दुखी मन से कहा.
"यार शायद उस दिन को नहीं भूल सकते है जब आज से दस साल पहले टीना की कैंसर से मौत हो गयी,"राज ने रीमा को बांहों में भरते हुए बोला.
             रीमा और साहिल एक कॉलेज में प्रोफेसर है बहुत ही कम उम्र में दोनों ने अपने घर वालो के विरोध में प्रेम विवाह किया. दोनों अच्छे पद में पहले से थे. और उसके बाद से दोनों के घर वालो ने आज तक हाल चाल नहीं लिया.
              शादी के दो साल बाद ही उनके घर में किलकारी गूंजी एक खूबसूरत गुडिया ने दस्तक टदे. पर उसके पैदा होते ही डॉक्टर ने कह दिया था की ये ज्यादा दिन नहीं जिन्दा रह पायेगी...इसे लंग्स कैंसर है.
उसी वख्त रीमा कीखुशी को जैसे जंग लग गयी और वही हुआ की टीना ३ साल में ही साहिल और रीमा को छोड़ कर चली गयी.
              उसके बाद से तो पूरा घर सिर्फ मकान बनकर रह गया साहिल ने एक बच्चा गोद लेने की बात की पर रीमा खुद टीना की यादो के संग जीना चाहती थी.वख्त लगातार तेजी से बढ़ रहा था. रीमा ने पार्ट टाइम जॉब के लिए कॉलेज के साथ साथ स्कूल भी ज्वाइन ज्वाइन कर ली. वह जब भी वह वह चुलबुले बच्चो को देखती तो उसकी टीना की यादें हमेशा बनी रहती. इस तरह उसकी ज़िन्दगीचलने लगी,
पर घर हमेशा उसे खाने के लिए दौड़ता था.
                       एक दिन वे दोनों घर में बैठे शाम की चाय पी रहे थे. तभी खिड़की के काँच टूटने की आवाज आई..
रीमा और साहिल जैसे ही बरामदे की तरफ आये तो देखा की वह पे एक १२ साल की लड़की कान पकड़े खड़ी हुयी थी.
         "सॉरी आंटी वो मोनू ने गेंद मारी है. मैंने कुछ नहीं किया, प्लीस गेंद दे दीजिये. आप चाहे मोनू से पूँछ लीजिये,, मै झूँठ नहीं बोल रही हूँ "
        रीमा कुछ बोलती इतने में साहिल ने उसे गेंद उठा कर दे दिया.. और दोनों मुस्कुराते हुए अपना हजारो का नुक्सान टाल गए . साहिल ने रीमा से पूंछा की तुम उस लड़की को जानती हो..
             रीमा ने हस्ते हुए कहा
"अरे हमारी स्कूल में नया अड्मिसन हुआ है.बहुत बोलती है ये, ज्यादा मुह मत लगाना."
और रीमा किचन की ओर चली गयी.साहिल ने अपनी पत्नी के लबो में बहुत सालो के मुस्कान देखा था. जैसे उसे लगा की टीना ने दोबारा दस्तक दी है.
..एक दिन रीमा स्कूल से लौट रही थी तभी रस्ते में उसे फिर वही लड़की मिली.और इस बार वह रीमा से लिफ्ट मांग रही थी. रीमा ने अपने रूखे व्यवहार के चलते मान न मान मैं तेरा मेहमान का ध्यान आगया, फिर भी एक पल  के लिए वो रुकी और उसे बिठा कर आंगे बढ़ गयी.
रस्ते में रीमा कड़क आवाज में बोली."
       "आज तो मै छोड़ देती हूँ पर अगली बार तुमको पैदल जाना होगा.इस तरह रस्ते में लिफ्ट माँगना अच्छी बात नहीं है."
उसने तपाक से जवाब दिया,
        "आंटी आज मेरे भैया की तबियत खराब हो गयी थी. इसलिए आज मैंने आपसे लिफ्ट मांगी थी. मेरे भएय इंजीनिअर है. "
"मेरा घर आगया आंटी मुझे यही छोड़ दीजिये,,,, बाय,,,,
     कहते हुए वो चली जाती है,
रीमा जल्द्बाजीमे उसका नाम तक नहीं पूँछ पाती है.एक अजीब सा सम्मोहन और स्नेह था उनदोनों के बीच पर रीमा उससे अनजान थी .शायद उसका आकर्षण माँ और बेटी के सामान हो रहा था.पर बेटी का स्थान देने में शायद रीमा कुछ सकुचा रही थी.
           एक दिन वो लड़की गार्डेन से फूल लेने रीमा के घर आई.
गेट  से ही उसने देखा के रीमा चाय पी रही थी.
     उसने गेट से ही आवाज लगायी .
        "आंटी अन्दर आ सकती हू कुछ फूल चाहिए थे."
        रीमा ने उसे इशारे से अन्दर बुलाया .वो इशारा पाते दौड़ कर अन्दर आ ही रही थी . तभी उसका पैर फिसल गया और वो गिर गयी.एक तरफ उसका गिरना था और दूसरी तरफ रीमा के हाथों से चाय के प्याले का छूटना. वो घबडा गयी और फुर्ती से उस लड़की की तरफ दौड़ी 
           अनायास ही रीमा ने उसे गोद में उठा लिया . वो सर में चोट लगने की वजहसे बेहोश हो गयी थी. और उसे दर्द भी हो रहा था. वो बार बार भैया को बुला रही थी.. रीमा तुरंत उसे अपने बेडरूम में ले गयी उसके चेहरे में पानी के छींटे डाली. उसके सर में मलहम पट्टी की, जब उसे आराम हो गया तो वह बरामदे में आ गयी.
बरामदे में आते ही देखा की सामने के अनजान युवक खड़ा हुआ था
        .रीमा को देखते ही उसने पूंछा
    "  टीना आयी है क्या वो आपके यहाँ फूल तोड़ने आई थी."
      "क्या,.. उसका नाम टीना है........" रीमा ने उत्सुकता से पूँछा.
      " हाँ मैम उसका नाम टीना है.आपने ही उसे लिफ्ट दी थी कल.... वो बता रही थी. वो कुछ दिनों में ही आपकी फैन हो गयी है . अप को मै एक बात बताना चाहता हू... वो मुझे आज से ८ साल पहले मिली थी 
स्टेशन में मैंने आसपास देखा. जब कोई उसका परेंट्स नहीं मिला तो मैंने उसको अपने घर ले आया. तब से लेकर अप तक वो मेरे ही साथ है. कल हम लोग जा रहे है. प्लीज उसे बुला दीजिये हमें पैकिंग भी करनी है.'युवक ने कहा.
    " वो आते हुए गिर गयी थी. हलकी चोंट आई है मैंने मलहम पट्टी कर दी है पर अप एक बार डॉक्टर को दिखा लीजियेगा ,"एक मिनट रुकिए मै बुलाती हूँ "
          रीमा ने युवक को पानी देते हुए कहा.
  टीना अपने भैया को देख कर उनके पास चली जाती है. रीमा को बाय कहती है. और चली जाती है, रीमा चाह कर भी उसे नहीं रोक पाती है.
रीमा चुप चाप सोफे में बैठ जाती है.
उसके साथ ये क्या हो रहा है वो खुद ही नहीं जान पारही थी
.मन में बस यही सवाल उठ रहा था की कुछ पलो में वो लड़की टीना ,उसकी ज़िन्दगी में आई और कितना जल्दी वापिस जा रही है.
वो और चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही है. 
साहिल आया उसने उसे बताया. मिन्नतें की कि  वो कुछ भी करे पर टीना को जाने से रोके.
   साहिल ने रीमा को सिर्फ इतना ही कहा
."चलो सुबह के वक्त देखते है,"
       किसी तरह माँ कि ममता ने पूरी रात काटी .जैसे ममता को जंजीरों से बाँध दिया हो रात भर के लिए.
सुबह हुयी....
रीमा और साहिल स्टेशन पहुच गए .
देखा तो वो दोनों ट्रेन का इंतजार कर रहे
. साहिल ने उस युवक से बात की . इधर रीमा ने तीन को चोकलेट दी. रीमा ने टीना से पूँछा
"बेटा क्या आंटी की पास रहोगे "
टीना ने सहमती में अपना सर हिला दिया.
  ट्रेन आई .....और ......रीमा टीना और साहिल ने उस युवक को अपना हाथ हिलाते हुए बिदाई दे रहे थे.
लबो में मुस्कान थी.
उस युवक ने सायद कन्यादान कर दिया था रीमा को.
इस बात से ख़ुशी से वो ट्रेन की बोगी में अपना हाथ हिला कर उनका अभिवादन स्वीकार कर रहाथा,
............... एक लम्बी शीटी के साथ ट्रेन ने अपना स्टेशन छोड़ दिया........................