मंगलवार, 21 मई 2013

कहानी:: थाली


कहानी:: थाली
कल की गेट टूगेदर पार्टी का असर आज अभी भी मेरे दिलो दिमाग में था.पहली बार अपने ससुराल वालों के साथ गेट टूगेदर हो रहा था. मेरी पार्टनर के साथ और भी मेरे सभी रिस्तेदार थे.पार्टी तो वैसे बहुत अच्छी रही पर एक बात आज भी मेरे कानों में गूँज रही है.जो मेरी पार्टनर ने मुझसे कहा कि हम एक ही थाली में खाना नहीं खायेंगे. किसी को दिखाने की जरूरत है कि हम एक ही थाली में खाना खाते है. मैने उसे पार्टी के दौरान भी बहुत समझाया ये कोई पाश्चात सभ्यता की निशानी नहीं है जिस तरह अलग थाली में खायेंगे उसी तरह एक थाली में खाया जा सकता है. पर मेरी पार्टनर का तो यही था की नहीं हम अलग अलग थाली में ही खायेंगें चाहे कुछ भी हो जाये.
  आज भी ध्यान है कि शादी के पहले जब हमारी पहली मुलाकात हुयी थी तो मैने अलग अलग थाली में ही अपना खाना सर्व किया था उस दिन उसने मुझे सिर्फ यही कहकर टोक दिया था कि एक ही थाली में भी हम दोनो खा सकते है. तब से आज तक हम कभी भी कहीं भी गये पर खाना एक साथ ही ,एक ही थाली में खाते थे. यहाँ तक की घर में कभी कभी जब सभी खाना खा लेते थे तो मै उसके साथ ,उसका साथ देने के लिये एक ही थाली में खाना खाते थे.मेरा बचपन से मानना था कि एक वक्त ऐसा जरूर आयेगा जब मै और मेरी पार्टनर एक साथ ,एक ही थाली मे हमेशा खाना खायेंगें. इससे हमारे बीच में खाने के साथ साथ बातें भी होती जाती थी. और खाना खाने के बहाने एक अच्छी बातचीत का मौका भी मिल जाता था. मैने अपने अनुसार इस माहौल को भी बदल लिया था. पर अफसोस तो तब हुआ जब मेरी पार्टनर ने कल यह कह दिया कि एक ही थाली में खाना खाना सिर्फ एक दिखावा है और कुछ नहीं.और वह अपने घर वालों के सामने इस तरह का दिखावा नहीं करेगी.
कल भी मैने उसे बहुत सारी बातें बतायी. यह तो झूँठी संस्कॄति का नकाब है तुमने मेरे साथ इसे ओढ लिया और अपने घर वालों के सामने उनकी तरह होकर पेश आने लगी. आज भी उसका यही मानना है कि एक साथ थाली मे मेरा उसके साथ खाना खाना सिर्फ एक दिखावा है.इससे अपनापन, प्यार और नजदीकी बढने जैसी कोई चीज नहीं है. चलो कल उसने इस बात का एहसास करवा ही दिया कि वो मेरी नजदीकी, मेरे प्यार, और मेरे अपनेपन को जो कहीं ना कहीं एक थाली में खाना खाने से बढने लगा था और इस समय पर ही सही  अपनी प्रोफेसनल जिंदगी से हम दोनो एक दूसरे को खाने के बहाने ज्यादा वख्त देने लगे थे वह सिर्फ उसकी नजर में एक दिखावा है क्योंकी मेरी ससुराल में यह परंपरा नहीं है पति और पत्नी एक साथ एक ही थाली में खाना खाकर कुछ समय एक साथ व्यतीत करें.मै ही पागल था जो उसे नजदीक लाने का यह बहाना उसे देने की असफल कोशिश करता रहा.